न सुबह का पता है ना शाम की खबर,
सर्द सी हवा के झोंके से भी हो गया हूँ बेखबर, सिगरेट की दो कश लेने बस करता हूँ मण्डावी का इंतज़ार, बाइक में आएगा दोस्त मेरा, लगा लेंगे दो काश दो यार, पर किसी रोज़ फिर कोरोना का संक्रमण बढ़ है जाता, कलेक्टर साहब का लोकलडाउन का थप्पा फिर से लग है जाता, बंद बाज़ारों में निकलते है फिर सिगरेट लेने ब्लैक में, रात को फिर माँ बाप के सोने के बाद उसे जलाने की हिम्मत आ जाती है हममें, फिर वही 10 दिन छत्तीसगढ़ में कश्मीर जैसा एहसास, और फिर वही भारत सरकार के निकमेपन के 4 किस्से, रिपब्लिक में 'मुझे ड्रग्स दो' चिल्लाता फिर एक बिग बॉस का मेहमान, और फिर वही आज तक, इंडिया TV का हिन्दू मुसलमान, घर ले सामने 10 साल से टूटी सड़क, घर से बाहर निकलने की इच्छा और इच्छा चाय की एक कड़क, देश मे लगातार मरते किसान, देश का युवा- बेरोज़गार, भटका, हलाकान, मेरी पंक्तियों से हो रही दिल को आघात? तो आओ मित्रों, सुने मोदी जी के मन की बात।
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